देश कराह रही अंत: कलह से ,वेदना आखिर कहाँ तक सही जाए. देश कराह रही अंत: कलह से ,वेदना आखिर कहाँ तक सही जाए.
फिर लगता है चाँद से ही साझेदारी कर लूँ फिर लगता है चाँद से ही साझेदारी कर लूँ
दिल अपना टूटा हो कितना ही, पर आँखों में आँसू नहीं लाता हूँ। क्योंकि लड़के रोते नहीं, दिल अपना टूटा हो कितना ही, पर आँखों में आँसू नहीं लाता हूँ। क्योंकि लड़...
थम सा गया हूँ मैं उन लम्हों में, जब उस हूर को देख लिया था इन आंखों ने, झूम रहा था म थम सा गया हूँ मैं उन लम्हों में, जब उस हूर को देख लिया था इन आंखों ने, ...
ज़िन्दगी इस तरह, मेरी पामाल है, मेरी हर चाल पर, उसकी इक चाल है। लुट गया चैन है, नीं ज़िन्दगी इस तरह, मेरी पामाल है, मेरी हर चाल पर, उसकी इक चाल है। लुट गया...
लहर आती किनारे पर, हमेशा लौट जाती है किनारा यूँ खड़ा है और लहर कुछ कर न पाती है किनारे लहर आती किनारे पर, हमेशा लौट जाती है किनारा यूँ खड़ा है और लहर कुछ कर न पाती ह...